गुलामी, एक ऐसी कुप्रथा जो सदियों से चली आ रही है और आज भी समाज के कई हिस्सों में इसके अंश कई रूपों में सक्रिय हैं। आधुनिक दौर के इस समाज में ‘आधुनिक समय की गुलामी’ का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है, जैसे; मानव तस्करी, जबरन बाल श्रम, यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, जबरन विवाह, सशस्त्र प्रतिद्वंद्विता में बच्चों की भर्ती। इन सभी आधुनिक गुलामी प्रथा को पूर्ण रूप से निष्क्रिय करने के लिए प्रति वर्ष 02 दिसंबर को “गुलामी उन्मूलन का अंतराष्ट्रीय दिवस (International Day for the Abolition of slavery)” मनाया जाता है, जो की गुलामी प्रथा को खत्म करने के प्रयासों को बढ़ावा देता है।
Gulami Unmulan ka Antarashtriya Diwas का मुख्य उदेश्य समाज में आधुनिक गुलामी के प्रकार से लोगों को अवगत करवाना और समाज में आज भी ऐसी कुप्रथाएँ अस्तित्व मैं हैं उसे उजागर करना है। आधुनिक गुलामी के कारण कितने घरों के चिराग बुझ जातें हैं, कितने बच्चों की जान चली जाती है, कितनी लड़कियों का जीवन नर्क बन जाता है।
Gulami Unmulan ka Antarashtriya Diwas के लिए इस वर्ष 2023 का विषय “परिवर्तनकारी शिक्षा के माध्यम से गुलामी की नस्लवाद की विरासत से लड़ना (Fighting the legacy of slavery’s racism through transformative education.)”, जिसका मतलब शिक्षा में परिवर्तन को अपने ढाल के रूप में इस्तेमाल करके गुलामी की प्रथा से लड़ना और उसे खत्म करना साथ ही गुलामी के शिकार लोगों की रिहाई सुनिश्चित कर उन्हें उनके देश में स्थानांतरित करना।
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गुलामी उन्मूलन का अंतराष्ट्रीय दिवस का महत्व।
- इस दिन गुलामी कुप्रथा के सम्बन्ध में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है साथ ही शिक्षा संस्थानों में कविता, निबंध लेखन, साक्षात्कार, कहानियां और अन्य प्रकार आयोजन किये जातें हैं।
- गुलामी से पीड़ित वापस आये लोगों का समर्थन कर उनके लिए सहानुभूति व्यक्त करतें हैं।
- गुलामी जैसी कुप्रथा में संलिप्त दोषियों को सजा दिलवाने और उनके खिलाफ वकालत करने का कार्य करतें हैं साथ ही गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर आधुनिक समय की गुलामी को रोकने का प्रयाश करतें हैं।
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गुलामी उन्मूलन का अंतराष्ट्रीय दिवस का इतिहास।
02 दिसंबर, 1949 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा व्यक्तियों के अवैध व्यापार के दमन और स्त्रियों को जबरन वैश्यावृति के कार्य में संलिप्त करने को खत्म करने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने और इसके खतरे के बारे में सूचित करने की मनसा से यह दिवस की स्थापना की गयी थी।